Monday, March 23, 2015

भगतसिंह की जेल नोटबुक से चार्ल्स मैके की एक कविता...



चार्ल्स मैके की कविता,
(भगतसिंह की जेल नोटबुक के उद्धरणों से)
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं?
अफ़सोस! मेरे दोस्त इस सेखी में दम नहीं,
जो शामिल होता है फ़र्ज़ की लड़ाई में,
जिसे बहादुर लड़ते ही हैं
उसके दुश्मन होते ही हैं। अगर नहीं हैं तुम्हारे
तो वह काम ही तुच्छ है जो तुमने किया है।
तुमने किसी गद्दार के कुल्हे पर वार नहीं किया है,
तुमने झूठी क़समें खाने वाले होठों से प्याला नहीं छीना है,
तुमने कभी किसी गलती को ठीक नहीं किया है,
तुम कायर ही बने रहे लड़ाई में।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts