Monday, January 26, 2015

66 वें गणतन्त्र दिवस के जश्न के बीच देश के दो नागरिकों - एक मज़दूर, और एक नौजवान की जिन्दगी की एक छोटी सी झलक



कल एक मज़दूर से मुलाकात हुई जो आज-कल रिक्शा चलाता है, पहले फैक्टरी में भी काम कर चुका है और बचे हुये समय में ठेला ढोता है। पिछले पन्द्रह दिन वह एक कपड़ा कम्पनी में काम कर चुका है, जहाँ 16 घण्टे (सुबह 9 से रात के 1 बजे तक) के काम के लिये उसे 350 रुपया दिहाड़ी मिल रही थी। इतनी मज़दूरी में उसे अपने परिवार का खर्च चलाना सम्भव नहीं लगा तो उसने फिर से रिक्शा चलाना और ठेले से सामान ढोने के काम को पकड़ लिया है।
कल रात को ही एक लड़के से मुलाकात हुई जो गुड़गाँव के एक बज़ार में कपड़ों की एक दुकान पर बैठता है। यह लड़का बिहार का रहने वाला है, जो काम के साथ पढ़ाई भी कर रहा है। इस लड़के ने बताया कि वह रोज 15 घण्टे (सुबह 8 से रात के 11 बजे तक) दुकान में बैठ कर ब्राण्डेड कपड़े बेंचता है जिसके बदले में उसे 4000 रुपया मज़दूरी मिलती है। इस लड़के को कम्प्यूटर और भाषाओं का भी ज्ञान है।


आज हमारे आज़ाद देश के ऐसे करोड़ों मज़दूर और नौजवान गणतन्त्र दिवस के जश्न से बेख़बर या तो रिक्शा खींच रहे हैं या ठेला ढो रहे हैं, या किसी कम्पनी में ठेकेदारों और शेयर-बाज़ार के दलालों का मुनाफ़ा बढ़ा रहे है, या दुकानों, मल्टी-स्टोरों रेस्तराँ में मध्य-वर्ग की सेवा में लगे हैं। इनके लिये न तो मज़दूर कानून लागू होता है न ही संविधान का कोई और नियम है जो इनके अधिकारों के लिये आवाज उठाये क्योंकि सारे नियम लागू करने वाले पैसे वालों की दलाली करते हैं।

आज हम ज़्यादा से ज़्यादा ज्ञानपीठ से सम्मानित कवि अली सरदार जाफ़री की यह पंक्तियाँ ही याद कर सकते हैं,
कौन आज़ाद हुआ .....
किसके माथे से गुलामी की सियाही छूटी
मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का
मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही
कारखानों में लगा रहता है
सांस लेती हुई लाशों का हुजूम
बीच में उनके फिरा करती है बेकारी भी
अपने खूंखार दहन खोले हुए
रोटियाँ चकलों की कहवाएं हैं
जिनको सरमाये के दल्लालों ने
नफाखोरी के झरोखों में सजा रखा था
बालियाँ धान की गेहूं के सुनहरे खोशे
मिस्र-ओ-यूनान के मजबूर गुलामों की तरह
अजनबी देश के बाज़ारों में बिक जाते हैं
और बदबख्त किसानों की तड़पती हुई रूह
अपने अफलास में मूह ढांप के सो जाती है
कौन आज़ाद हुआ . . .


इनके जैसे करोड़ों मज़दूरों और नौजवानों के बारे में आंकड़ों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट अगली पोस्ट में डालूँगा . . .

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