Tuesday, January 11, 2011

गोगोल की कहानियों के कुछ हिस्से . . .

"जब हर स्वतःस्फूर्त चीज़ आदमी के अन्दर सिमट कर रह जाती है, जब भावात्मक आवेग आत्मा तक अधिक क्षीण  रूप में पहुँचते हैं, और वे ह्रदय को बेधनेवाले स्वरों से आन्दोलित नहीं होते, जब सौंदर्य के साथ सम्पर्क अछूती शक्तियों को अग्नि और ज्वाला में रूपान्तरित नहीं करता और जब भस्मिभूत चेतनायें सोनें के सिक्कों की खनक को अधिक सहज रूप से स्वीकार करने लगती हैं, जब वह उनके मोहक संगीत पर बड़ी उत्सुकता से रीझने लगता है, और धीरे-धीरे, अनजाने ही , उनके प्रभाव से अपनी चेतनाओं को निःसंज्ञ हो जाने देता है , और तब उसकी सारी भावनाओं और उसके सारे आवेगों की दिशा सोने के सिक्कों की ओर मुड़ जाती है।" (कहानी - तस्वीर, P.86, by गोगोल)
"सच्ची मेधीवी प्रतिभायएँ उस समय उत्पन्न होतीं हैं जब राष्ट्र अपनीं सत्ता और अपनें वैभव के शिखर पर होते हैं, न कि उस समय जबकि वे उन शर्मनाक राजनीतिक कार्यवाइयों गणतांत्रिक आतंक का शिकार रहते हैं।" (कहानी - तस्वीर, P.103, by गोगोल)
"दुनिया के मोह माया में फंसे हुए व्यक्ति को कला की समझ न होनें के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता; -- अगर वह ताश की अच्छी बाजी खेलना जानता है, शराब और घोड़ों के बारे में एक दो बातें जानता है -- तो उसे इससे ज्यदा जानने की जरूरत ही क्या है?" (कहानी - तस्वीर , P.108, by गोगोल)
"अपनें जीवन में कितनी ही बार वह मनुष्य के प्रति मनुष्य की क्रूरता को देखकर, सुसंस्क्रत, सुशिक्षित और सुसभ्य चमक-दमक के पीछे छिपे हुए द्वेषपूर्ण फूहड़पन को देखकर काँप उठा था ।" (कहानी - गरमकोट, P.126, by गोगोल)

2 comments:

  1. hi raj from where i can get this book or GOGOL stories

    ReplyDelete
  2. This book named "Gogol Ki Teen Kahaniyan" is published by Parikalpana publication.
    The website link is: http://janchetnaa.blogspot.com/2009/07/blog-post_31.html

    ReplyDelete

Popular Posts